2061...दुनियावी शोर से बेख़बर रात-दिन, उनकी आहट की इन्तज़ारी है
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सादर अभिवादन
आज विश्व महिला दिवस है
सभी को शुभकामनाएँ
तरह-तरह की रचनाएँ देखने को मिलेगी
आज...
इस पर्व से इतर मैं आज लाई हूँ
अपनी ही प्यारी सखी श्वेता जी की ...
13 घंटे पहले
3 COMMENTS:
जब तक साँस तब तक आस !इस कविता के पात्र का देहांत हो गया ,ऐसा लगता है !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, सादर.
मेरे ब्लॉग की नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है .
बहुत तकलीफदायक होती है डायलिसिस की वेदना, शायद उसे इस चिरनिद्रा से ही आराम मिलता... अपनी माँ को देखा है बहुत करीब से इस वेदना से जूझते और हार कर सोते...मार्मिक प्रस्तुति... आभार
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